Tuesday, September 9, 2014

बोल बोल काग़ा मेरे, राम कब आएँगे (bol bol kaga mere, ram kab aayenge)

 बोल बोल काग़ा मेरे, राम कब आएँगे-२
दुखिया की झोपड़ी के भाग्य जाग जाएँगे

१) आए नहीं राम जी, लगाई कहाँ देर रे-२
चुन चुन पंछी(बर्तन) में रखे हुए बेर रे
बलि बलि जाउगी , जब राम मेरे आएँगे
दुखिया की झोपड़ी के भाग्य जाग जाएँगे

२) उड़ जा रे काग़ा लादे, राम की खबरिया-२
आएँगे धनुष धारी कौन सी डगरिया
अखियाँ बिछाय दूँगी, वे जहाँ चरण टिकाएँगे
दुखिया की झोपड़ी के भाग्य जाग जाएँगे


३) भोले भाले दौनो भैया बड़े ही रिझावर हैं
टूटी सी मेरी नईया के वो ही पतवार हैं
बूढ़ी ग़रीबनि को पार कब लगाएँगे
दुखिया की झोपड़ी के भाग्य जाग जाएँगे


४) राम की लगान में मगन थी में कागरे
लगी हुई पापों वाली भुझ गयी आग रे
बिगड़ी पुरानी मेरी आके वो बनाएँगे
दुखिया की झोपड़ी के भाग्य जाग जाएँगे





No comments:

Post a Comment