Wednesday, September 10, 2014

सब्जी मंडी, हवा चली ठंडी (Sabji mandi hawa chali thandi)



    सब्जी मंडी, हवा चली ठंडी
    आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी |

    केसे आऊ बन्ने , शरम मोहे लागे
    पायल मेरी बजनी रे, बड़ी मुश्किल है पड़ी |

१)  लंबा घूँघट डाल लो, पायल को उतार लो  ----  --2
    आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी |
    केसे आउ बन्ने,  ताऊजि खड़े है   ----------  2
    चूड़ियाँ खनकनी रे, तभी तो मई हू डरी |
    आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी |

२)  चूड़ी को चड़ा लो, बाहों में अड़ा लो ------------2
    आजा मेरी बन्नी रे, मिलन की बीते घड़ी 
    केसे आऊ बन्ना , बजे मेरा कंगना ------------2
    देवर देखे सजना, ननद भी वहाँ है खड़ी,
    आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी |

३)  देवर है अनाड़ी, सुनो  प्राण प्यारी,-------------2
    देदो उसे चकमा रे, अटरिया सूनी पड़ी |
    ना ना बाबा ना रे, निकलेंगे तारे ---------------2
    दिन में ही प्यारे रे, जलेगी ना फुलझड़ी |
    आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी |

४)  पायल तेरी बजनी, चूड़ी है खनकनी -----------2
    मैं क्या करू सजनी रे, अटरिया सूनी पड़ी |
    आऊँगी मैं रात को, मानो मेरी बात को---------2
    सासूजी का पहरा है, मचाओ ना हड़बड़ी |
    आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी |










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